Mind of Bharat

The invincible, eternal ‘we’

The invincible, eternal ‘we’ ..

गुरू रविंद्रनाथ ने कहा था 'हमें सबसे पहले हम जो हैं वह बनना पड़ेगा', जानें- कोरोना काल में इसके मायने

अपने साथ-साथ विश्व कल्याण की बात ही भारत ने हमेशा सोची है. “आत्मनो मोक्षार्थम् जगत् हिताय च” यही भारत का विचार और आचरण रहा है। अपने “स्वदेशी समाज” नामक निबंध में गुरुवर्य रविंद्रनाथ ठाकुर निःसंदिग्ध शब्दों में कहते हैं कि “हमें सबसे पहले हम जो हैं, वह बनना पड़ेगा।” कोरोना काल में क्या है इसके मायने?..

आजादी के आंदोलन में संघ का बड़ा योगदान था लेकिन संघ को श्रेय लेने की आदत नहीं

एक षड्यंत्र के तहत यह प्रचारित किया जाता है कि आजादी के आंदोलन में संघ का कोई योगदान नहीं है, जबकि इतिहास गवाह है कि डॉ. हेडगेवार सहित अनेक स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए जेल की यातनाएं सही थीं..

कोरोना संकट के समय पूरे विश्‍व को दृष्टि, विशेषज्ञता और अनुभव से भारत दे सकता है एक नई दिशा

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण भारत ही नहीं पूरा विश्‍व प्रभावित हुआ है। पृथ्वी की गति के सिवाय, सारी गति रुक सी गयी है। विमान नहीं उड़ रहे, ट्रेनें नहीं चल रहीं, कारें नहीं दौड़ रहीं। मनुष्य का पैदल घूमना भी बंद सा हो गया है। पृथ्वी-प्रकृति अपनी स्वच्छ-स्वस्थ साँस ले रही है। कोरोना संकट की इस घड़ी में भारत, पूरे विश्‍व को दृष्टि, विशेषज्ञता और अनुभव से एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।..

अयोध्या पर अनुदार सोच का प्रदर्शन

60 साल से एक ही दल के शासन के कारण इस नेहरुवादी अनुदार धारणा को ही सरकार द्वारा संरक्षण, पोषण और समर्थन मिलने के कारण बौद्धिक जगत, शिक्षा संस्‍थानों और मीडिया में भारत की यही अभारतीय अवधारणा प्रतिष्ठित कर दी गई है। इसलिए अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के विरोध में उभरने वाली आवाजें मीडिया और बौद्धिक जगत में ज्‍यादा तेज दिखाई देती हैं।..

Temple, then and now

The Somnath temple was reconstructed despite opposition in the past ..

Dead end on the left

Political parties who nurture this ‘Non-Bharatiya’ mindset for their narrow vested interests or outsourse their intellectual outreach to Leftist groups need to introspect about the fraudulence of their ideological premise...

भारतीयता से दूर भागते वामपंथी

अधिकतर वामपंथी, दूसरों के पक्ष को सुनना भी निषिद्ध मानते हैं, या पाप मानते है।(यदि वे पाप और पुण्य में विश्वास करते है तो)। इसलिए जयपुर लिट फ़ेस्ट में संघ के अधिकारियों को दो वर्ष पूर्व जब पहली बार बुलाया तो इन वामपंथियों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।..

भारतीयता का मूल भाव

मुसलमानों में भारतीयता ययानी हिंदुत्व का जागरण करते हुए उन्हें भारत का भविष्य गढ़ने में साथ लेना ही हिंदुत्व की पहचान है।..

Hindutva in Essence isn’t Exclusivist

As per the constitution, all religions are equal in Bharat. The concept of minorities is irrelevant..

RSS Doesn’t Need Glasnost

Only those unaware of the Sangh’s open, inclusive culture were surprised by the candour with which Mohan Bhagwat dealt with difficult questions...

संघ समय के साथ बदलने वाला कर्मठ संगठन

आरएसएस के दूसरे प्रमुख गोलवलकर ने कहा था कि एक ही धर्म पूरी मानवता के लिए सुविधाजनक नहीं..

The Truth About RSS and Golwalkar

Opponents of the RSS were trying to pick apart the speech but failed to come up with anything that confirmed their oft-repeated falsehoods...

Frank Dialogue Will Lead to a Confluence of Ideas

The history of Bharat is dotted with such examples. The RSS follows the same tradition & philosophy..

मुस्लिम ब्रधरहुड विवेकानंद का विश्वबंधुत्व नहीं

उनके राजनीतिक सलाहकार उन्हें यह बताने में सफल रहे हैं कि संघ की बुराई करने से, संघ के ख़िलाफ़ बोलने से उन्हें राजनीतिक फ़ायदा हो सकता है।..

Congress chief Rahul Gandhi’s RSS-Muslim Brotherhood apology insults country’s heritage, shows how party has regressed.

His political advisers have succeeded in convincing him that criticizing the RSS will yield political dividends, and that baseless and provocative statements will compensate for the lack of ground work that is required to lift the grand old party out of its political misfortunes...

जड़ों से कमज़ोर जुड़ाव के दुष्परिणाम

अपनी जड़ो से जुड़ाव का क्षरण पूरा होते ही अभारतीयकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है और फिर भारत तेरे तुकड़े होंगे जैसी बातें शुरू हो जाती है..

India Won’t Become HinduPakistan

Before we move on to the irrelevance of this misconstrued narrative, it is important to understand what defines Bharat and Hindutva...

प्रणबदा के साथ संघ विरोधियों को भी धन्यवाद

संघ तो अपनी बैठकों में चर्चा से आईना देख लेता है, लेकिन खुद को प्रगतिशील कहने वाले रूढ़िवादी और असहिष्णु लोगों की वाम-सेक्युलर लामबंदियां अपना चेहरा आईने में कब देखेंगी?..

वैचारिक आदान-प्रदान का बेजा विरोध करने वालों की वैचारिक संकीर्णता हो रही है स्पष्ट

प्रणबदा के संघ के आमंत्रण को स्वीकार करने से राजनीतिक और वैचारिक जगत में जो बहस छिड़ी उससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हिमायती लोगों का असली चेहरा सामने आ गया..

Most Intolerant of Them All

Reactions to Mukherjee’s visit to Nagpur hold the mirror to Left-liberals, not RSS..

Welcome to Nagpur, Pranab da

There has been unseemly outrage amongst certain sections of the political class on former President Dr Pranab Mukherjee's acceptance of an invitation as Chief Guest for the concluding ceremony of the RSS's Tritiya Varsh Training program. ..